आज का युवा सिर्फ अपने परिवार का कुल दीपक ही नहीं देश का बेहतर भविष्य और पूरे समाज का भावी कर्ताधर्ता भी है। इसलिये युवा जोश को सकारात्मक दिशा देने, कुसंस्कारों से हटाने और उनकी ऊर्जा को देश व समाज हित के लिये उपयोगी बनाने के लिये दिशा देने की जरूरत है। इसमेें मीडिया की विभिन्न विधायें महती भूमिका अदा कर सकती है।

वर्तमान में देश की कुल जनसंख्या का 41 प्रतिशत युवा है। जो राजनैतिक दृष्टि से भी कोई बड़ा परिवर्तन लाने में सक्षम है। इतना ही नहीं चालू वर्ष में ही लगभग 1 करोड़ 50 लाख युवा नव मतदाता बने हैं जो किसी भी बदलाव के लिये सक्षम हैं। ऐसी दशा में उन्हें उन्नतिशील, प्रगतिशील, चरित्रवान और प्रतिभाशाली बनाने में मीडिया बहुत ज्यादा सहायक हो सकता है। उनके व्यक्तित्व में सुधार लाने, नेतृत्व का गुण विकसित करने, उन्हें विभिन्न विधाओं में पारंगत बनाने, राष्ट्र प्रेम की भावना और जिम्मेदार नागरिक का गुण विकसित करने की जिम्मेदारी उनके माता-पिता, परिवार और वर्तमान व्यवस्था पर थोप कर लोकतंत्र का चौथा स्तंभ अपनी जिम्मेदारी और युवाओं के प्रति सामाजिक दायितव से मुंह नहीं मोड़ सकता।

आज का युवा व्यवस्था में आमूल चूल परिवर्तन चाहता है। उन्हें विभिन्न मुद्दों प र अपनी राय व्यक्त करने में कोई हितक नहीं होती, वे इस बात से भयभीत ऊी नहीं होते कि उनकी व्यक्त की गई राय से कोई गंभीर परिणाम तो सामने नहीं आयेंगे। अपनी सीमाओं के घेरे में रहते हुए भी वे भारतीय लोकतंत्र की बारीकियों क अवलोकन करना चाहते हैं। ऐसे में मीडिया के बाद युवा जोश को लोकतंत्र का पांचवा पाया कहें तो ज्यादा गंभीर तर्क नहीं हेगा। इसलिये मीडिया की ताकत का तार्किक ढंग से उपयोग कर युवाओं को संरचनात्मक भूमिका की ओर दिशा देने की जरूरत है। इस बड़े वर्ग की अनदेखी से उनमें नकारात्मक सोच विकसित होने का भय उत्पन्न होता है। उनके अंतरमन में उमड़ते- घुमड़ते सवाल और उनसे उत्पन्न होने वाले प्रभाव को दिशाहीन होने से बचाने के लिये मीडिया को उन्हें ऐसी पाठ्य, दृश्य एवं श्रव्य सामग्री सुलभ कराना चाहिये, जिससे उनके मन में उठने वाले नकारात्मक सवालों का सकारात्मक जवाब मिल सके। साथ ही देश और समाज को बेहतर बनाने में युवा ताकत का बेहतर उपयोग किया जा सके। युवा तुर्कों की मूलभूत जरूरतों को पूरा करने के लिये भी परिवार, समाज और सरकार के साथ मीडिया को आगे आना चाहिये।

युवाओं में सोशल मीडिया का क्रम सबसे ज्यादा है। वे चेटिंग और नेटिंग के जरिये अपनी अभिव्यक्ति को दूसरे युवाओं और समाज के बीच लाना चाहते हैं।  इसलिये सोशल मीडिया के जरिये हो रहे युवाओं में हो रहे परिवर्तन, युवा विकास में इस मीडिया की भूमिका, सोशल नेटवर्किंग साइट के माध्यम से युवाओं में सूचना के प ्रभाव का शोधपरक अध्ययन करने के लिये जिम्मेदारों को प्रेरित करने में भी मीडिया सहायक हो सकता है। एक अध्ययन से पता चला है, कि फेसबुक, ट्यूटर, व्हाट्सऐप, इंस्टाग्राम और सोशल नेटवर्किंग साइट्स का उपयोग कर्ता 80 से 85 प्रतिशत अभी युवा है। ऐसी दशा में उन्हें अध्ययन परक व बेहतर सामग्री उपलब्ध कराने की बड़ी जिम्मेदारी भी मीडिया पर है। युवाओं को उचित मार्गदर्शन  देकर उनकी क्षमताओं का उचित ढंग से इस्तेमाल किया जा सकता है।  ऐसे युवाओं की सहभागिता सुनिश्चित होना चाहिये ताकि उनकी नकारात्मक ऊर्जा को दिशा देकर सकारात्मक ऊर्जा में बदला जा सके। इसके लिये वातावरण निर्माण में  मीडिया का प्रयास मील का पत्थर बन सकता है, दिशा और दशा सुनिश्चित कर सकता है।

खिलावन चंद्राकर
रा.संपादक देशबन्धु भोपाल
9425040004

Source : खिलावन चंद्राकर